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रत्नावली महाकुंभ में संस्कृति, सृजनशीलता, नवाचार और उद्यमिता का अद्भुत संगम

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कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में एनईपी के अनुरूप कौशल विकास और आत्मनिर्भरता को मिल रहा बढ़ावा

कुरुक्षेत्र, 31 अक्तूबर।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के राज्य स्तरीय रत्नावली महाकुंभ में इस बार हरियाणवी लोक संस्कृति के साथ सृजनशीलता, नवाचार और उद्यमिता का अनोखा संगम देखने को मिल रहा है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा के मार्गदर्शन में आयोजित इस आयोजन में ललित कला विभाग के विद्यार्थियों द्वारा तैयार किए गए घरेलू सजावटी सामान और महिलाओं के लिए उपयोगी सामग्री की आकर्षक प्रदर्शनी ने दर्शकों को खूब आकर्षित किया।

पर्यटकों ने विद्यार्थियों द्वारा निर्मित उत्पादों की सराहना करते हुए खरीदारी भी की। विभागाध्यक्ष डॉ. गुरचरण ने बताया कि नई शिक्षा नीति (NEP) के अनुरूप विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर एवं स्वावलंबी बनाने के लिए कौशल विकास, नवाचार और उद्यमिता को निरंतर प्रोत्साहित किया जा रहा है।

युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के निदेशक प्रो. विवेक चावला ने बताया कि मेले में विद्यार्थियों को अपने स्टॉल लगाने का अवसर दिया गया है, जहाँ वे उत्पाद निर्माण, बिक्री और आमदनी का पूरा संचालन स्वयं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा के नेतृत्व में यह पहल विद्यार्थियों को विकसित भारत अभियान और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की ओर अग्रसर कर रही है।

लोक संपर्क विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया ने कहा कि रत्नावली महाकुंभ इस वर्ष संस्कृति, कौशल और सृजनात्मकता का उत्कृष्ट उदाहरण बनकर उभरा है। यहाँ परंपरा और नवाचार का सुंदर मेल देखने को मिला है। उन्होंने कहा कि ऐसी गतिविधियाँ न केवल विद्यार्थियों की कलात्मक सोच को दिशा देती हैं, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और उद्यमशील बनने के लिए भी प्रेरित करती हैं।

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