इनसाइट न्यूज 24 : भारत में इस वर्ष अब तक हुई भीड़भाड़ की घटनाओं में लगभग 114 लोगों की मौत दर्ज की गई है, जो हाल के वर्षों में दूसरी सबसे बड़ी संख्या बताई जा रही है। धार्मिक आयोजनों, राजनीतिक रैलियों और सार्वजनिक समारोहों में नियंत्रण तंत्र के अभाव के कारण कई जगहों पर हालात बेकाबू हुए और लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
जानकारों का कहना है कि ऐसे हादसे केवल भीड़ के बढ़ जाने से नहीं, बल्कि प्रशासनिक तैयारी की कमी से होते हैं। अधिकांश मामलों में सुरक्षा घेरा पर्याप्त नहीं होता, एंट्री और एग्ज़िट पॉइंट सीमित रहते हैं, जिससे भगदड़ जैसी स्थिति बन जाती है।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की रिपोर्ट में बताया गया है कि भीड़ प्रबंधन के लिए तय दिशा-निर्देशों का पालन अधिकतर आयोजनों में नहीं किया जाता। कई बार आयोजक सुरक्षा योजनाओं को औपचारिकता भर मान लेते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि स्थानीय प्रशासन, पुलिस और आयोजक संस्थाएं संयुक्त रूप से भीड़ नियंत्रण की सख्त योजना बनाएं और डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम को अनिवार्य करें, तो ऐसी घटनाओं को काफी हद तक रोका जा सकता है।
देश के कई राज्यों — विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र — में इस वर्ष सबसे अधिक हादसे सामने आए हैं। इन घटनाओं ने एक बार फिर से सरकारों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आम जनसमूह की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्थायी व्यवस्था बनाना अब जरूरी हो गया है।



