नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों में हाल के महीनों में उल्लेखनीय गिरावट देखने को मिली है। ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में भारत से अमेरिका को निर्यात में लगभग 18 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी टैरिफ (शुल्क) नीतियों और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बदलावों ने इस गिरावट को गहरा किया है।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने हाल ही में कई उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ा दिए हैं, जिनमें इस्पात, एल्यूमिनियम, फार्मा और टेक्सटाइल क्षेत्र के प्रमुख उत्पाद शामिल हैं। इसके चलते भारतीय कंपनियों के लिए अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा बनाए रखना मुश्किल हो गया है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात का बड़ा हिस्सा औद्योगिक उत्पादों और आईटी सेवाओं पर आधारित है। इन क्षेत्रों में बढ़ती लागत और व्यापारिक अनिश्चितता के चलते निर्यातकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। वहीं, भारत सरकार ने इस गिरावट को देखते हुए नए व्यापार समझौते और शुल्क-राहत वार्ताओं की तैयारी शुरू कर दी है।
व्यापार विशेषज्ञों के अनुसार, यह गिरावट अस्थायी भी हो सकती है, क्योंकि भारत तेजी से नए बाजारों — जैसे यूरोप, अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया — में अपने व्यापारिक अवसर बढ़ा रहा है।
आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि इस स्थिति से भारत को अपनी विनिर्माण क्षमता और निर्यात नीति में सुधार का अवसर भी मिला है। आत्मनिर्भर भारत और ‘मेक इन इंडिया’ जैसी योजनाएँ इस दिशा में मजबूत कदम साबित हो सकती हैं।



