नई दिल्ली। भारत दिसंबर 2025 में पहली बार यूनेस्को (UNESCO) की “इंटैन्जिबल कल्चरल हेरीटेज” यानी अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर समिति की 20वीं बैठक की मेजबानी करेगा। यह आयोजन राजधानी दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किला परिसर में होने जा रहा है, जहां दुनिया के करीब 180 देशों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
इस बैठक में विश्वभर की पारंपरिक कला, लोक नृत्य, लोकगीत, हस्तशिल्प, त्यौहारों और सांस्कृतिक परंपराओं से जुड़े प्रस्तावों की समीक्षा की जाएगी। भारत इस आयोजन के जरिए न केवल अपनी समृद्ध विरासत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत करेगा बल्कि वैश्विक सांस्कृतिक सहयोग को भी सशक्त करने का संदेश देगा।
संस्कृति मंत्रालय के अनुसार, भारत ने यूनेस्को की इस समिति में लगातार सक्रिय भूमिका निभाई है। देश की कई पारंपरिक विधाएँ — जैसे कि रामलीला, कुंभ मेला, योग और नववर्ष उत्सव — पहले ही यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल की जा चुकी हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस आयोजन से भारत के पर्यटन, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और अंतरराष्ट्रीय पहचान को नई दिशा मिलेगी। इससे स्थानीय कलाकारों, लोक परंपराओं और कारीगरों को भी वैश्विक पहचान मिलने की संभावना बढ़ेगी।
सरकार का उद्देश्य इस बैठक के माध्यम से “भारत की विविधता में एकता” की भावना को विश्व स्तर पर प्रदर्शित करना है।



